डर लगना और घबराहट होना: कारण और उपाय Fear and Anxiety: Causes and Remedies
परिचय
महत्व
कारण
प्रकार
प्रभाव
उपाय
परिचय:
भविष्य के संबंध में किसी चिंता के कारण होने वाली बेचैनी और मन का वह क्षोभ या विकलता पूर्ण अनुभूति जो किसी प्रकार के उपस्थित कष्ट, विपत्ति, संकट आदि की आशंका से होती है उसे डर लगना और घबराहट होना कहते है। यह एक शक्तिशाली और सार्वभौमिक भावना है जिसे हर इंसान अपने जीवन में कभी न कभी अनुभव करता है।
यह विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकती है, व्यक्तिगत विकास में बाधा डाल सकती है, अवसरों को सीमित कर सकती है और रचनात्मकता को दबा सकती है। जिसके परिणामस्वरूप असंतुलन, तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इस लेख में, हम डर लगना और घबराहट होने के कारण और उपाय के बारे में विस्तार से जानेंगे।
डर लगना और घबराहट होना: महत्व
वैसे डर हमेशा बुरा नहीं होता जीवन में थोड़ा बहुत डर होना ही चाहिये अन्य भावना की तरह डर लगना और घबराहट होना यह भी स्वाभाविक है। हमारी सलामती के लिए इसका होना ज़रूरी है।
डर लगना और घबराहट होना: कारण
जीवन दो तरीकों से जिया जाता है या डर और घबराहट से या प्रेम से। हमने प्रेम कभी जाना नहीं है और डर लगना और घबराहट होने से हमारा बड़ा गहरा नाता है। डर और घबराहट का जन्म होता है अपूर्णता के विचार से। हम अपने अस्तित्व को ही, अपने होने के भाव को ही संसार पर टिका देते हैं। इसी कारण बाहर की कोई छोटी-सी घटना भी हमें भीतर तक हिला देती है।
संसार निरन्तर परिवर्तनशील है अतः हमारा सम्पूर्ण जीवन डर, घबराहट और दुःख के छाए में व्यतीत होता है। कई बार हमें अपने कौशलों और सामर्थ्य में विश्वास नहीं होता जिससे डर लगता है और घबराहट होती है। भविष्य की अनिश्चितता भी डर लगना और घबराहट होने का कारण बन सकती है।
डर लगना और घबराहट होना: प्रकार
किसी अपने के खोने का डर परीक्षा के समय पढाई नहीं करने पर हमें फ़ैल होने का और कई बार माँ बाप की अधिक अपेक्षाओं के चलते भी फ़ैल होने का डर होता है। किसी बात को कहने से पहले ही डर और घबराहट होती है। क्योंकि हमें लगता है की सामने वाला अस्वीकार कर देगा। लोगों के सामने जाने से डर लगता है, घबराहट होती है अपमान का डर लगता है। ऑफिस में सही काम न करने पर बॉस का डर लगता है।
डर लगना और घबराहट होना: प्रभाव
जीवन में आने वाली चुनौतियाँ और असमंजस मानसिक तनाव का कारण बन सकती हैं। हमें अज्ञात क्षेत्रों में क्या होगा यह जानने की इच्छा भी डर उत्पन्न कर सकती है। समाज में बदलती हुई परिस्थितियों के चलते, हमें सामाजिक दबाव महसूस होता है। जब हमें डर और घबराहट होती है, हमारे शरीर में यह फिजिकल प्रतिक्रियाएँ होती हैं।
हृदय की धड़कन बढ़ना :
तनाव के कारण हृदय की धड़कन तेज हो सकती है, जिससे हमें अधिक बेचैनी महसूस होती है।
श्वास लेने में कठिनाई :
जब डर लगता है और घबराहट होती है तब श्वास लेने में कठिनाई महसूस हो सकती है, जिससे व्यक्ति थकावट महसूस कर सकता है।
शारीरिक संकोच :
डर के कारण हमारे शरीर में संकोच हो सकता है, जिससे हमें लक्षणों में बदलाव महसूस हो सकता हैं।
मानसिक प्रभाव:
डर और घबराहट के अत्यधिक समय तक बने रहने से मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव होते हैं।
डिप्रेशन
डर और घबराहट के कारण व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो सकता है, जिससे उनका आत्म-मूल्य घट सकता है। आत्म विश्वास खो देता है कई बार आत्महत्या के बारे में भी सोचने लगता है, अपने टैलेंट को दुनिया के सामने नहीं लाता, अपनी सही बात भी नहीं कह पाता है. और भीड़ का हिस्सा बन जाता है।
चिंता और अवसाद:
डर और घबराहट के कारण व्यक्ति चिंतित और उदास हो सकता है, जिससे उनकी दिनचर्या प्रभावित हो सकती है।
समस्याओं का बढ़ना:
डर और घबराहट के बढ़ जाने पर व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर और भी गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं, जिससे उसकी अन्य समस्याओं बढ़ सकती है।
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आत्म-संवाद और सकारात्मक विचारों का महत्व :अपने आप से सकारात्मक तरीके से बातचीत करना और सकारात्मक विचारों को प्रोत्साहित करना मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है। डर लगना और घबराहट होना तब होता है, जब हम अपने मन में पुरानी चलती आ रही बातों पर विश्वास कर लेते है। हमको यही लगता है कि बस यही सच है, इसके अलावा कुछ हो नहीं सकता, हम अपने मन को इस से भर लेते है, जिसके बाद कुछ अच्छे के लिए जगह ही नहीं रहती। अपने आप को पूरी तरह से पॉजिटिव रखें।
आप अच्छा सोचेंगे तो अच्छा होगा. कहते है जैसा हम सोचते है वैसा ही होता है। हमारी सोच में इतना पॉवर होता है कि वो जैसा चाहे अट्रैक्शन के द्वारा करवा सकता है। सकरात्मता से डर जैसा शैतान दूर भागता है। इसके अलावा अपनी सोच पर काबू रखें. बैठे-बैठे कुछ भी न सोचते रहें. कई बार हमारी सोच ही हमारे लिए दुश्मन बन जाती है. सकारात्मक लोगों की संगति में रहें, उनसे बातें करें, उनके अनुभव को जानें। सकरात्मत्क टीवी सीरियल देखें, बुक पढ़ें। अच्छा पढ़ने देखने से सोच भी वैसी होती है। विफल होने से निराश न हों, सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें।
योग और ध्यान की मदद:
योग और ध्यान आपके मानसिक तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। ध्यान करने से आपको मानसिक शांति में मदद मिलती है और आपकी सोच सकारात्मक बनती है। दिन में 20 30 min शांति में अकेले में बैठे। आप भगवान पर विश्वास करते है, तो ये समय ईश्वर के साथ प्रार्थना में गुजारें।
मेडिटेशन मतलब ध्यान लगाना, अपने मन की आवाज को सुनना. थोड़ी देर के लिए दुनियावी बातों को भूलकर अपने मन के अंदर आत्मा की आवाज को सुनें. जो भी बात, जैसे डर लगना और घबराहट होना आपको परेशान कर रही है, उसे ईश्वर से कहें, और उनके क़दमों में डाल दें. ऐसा करने से आप एक अंदरूनी ताकत महसूस करेंगे. आपका मन शांत होगा और आप मानसिक शांति महसूस करेंगे।
सही पोषण और व्यायाम:
सही आहार और नियमित व्यायाम करने से भी आपका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है।
सही समय प्रबंधन की टिप्स:
सही समय प्रबंधन करने से आपके पास अधिक समय होता है और आपकी स्ट्रेस कम होती है।
सपोर्ट सिस्टम का सहारा:
अपने परिवार और दोस्तों से बातचीत करना और उनसे सहारा मांगना आपके मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है और उनसे डर लगना और घबराहट होना जैसी समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
पुरानी बातों को पीछे छोड़ आगे बढ़ें:
हमारे कुछ पुराने ऐसे अनुभव रहते है, जिनके चलते हम आगे ही नहीं बढ़ पाते है, उन्हें अपनी मुट्ठी में बांधे रहते है। जो बीत गया सो बीत गया. जरुरी नहीं जिस पुरानी बात ने आपको डर लगना और घबराहट होना जैसी समस्याओं ने उस समय परेशान किया था वह अभी भी करे। पुराने अनुभव से सीखकर, निडरता के साथ आगे बढे। डर और घबराहट से हम जितना डरेंगे वह उतना ही डराएगी।
डर और घबराहट होने पर गहरी सांस लें :
डर और घबराहट को दूर करने का यह सबसे अच्छा तरीका है. किसी भी बात का डर हो, बैठ जाए. गहरी, लम्बी साँसे ले. 5 min तक ऐसा करें, आप शांति महसूस करेंगे।
भविष्य के बारे में न सोचें:
कई बार हमें आने वाले कल के बारे में डर लगता है. कल क्या होगा, हमारा भविष्य कैसा होगा, जॉब मिलेगी की नहीं, शादी होगी की नहीं, बच्चों का भविष्य कैसा होगा, माँ बाप मानेंगें की नहीं. यही सोच सोच कर हम अपना आज ख़राब कर लेते है. भविष्य में हमारा कोई जोर नहीं है, कल हम जीयेंगें या मरेंगें हम नहीं जानते।
ईश्वर कहते है, हम चिंता करके अपनी ज़िन्दगी में एक दिन भी अधिक नहीं जोड़ सकते इतना छोटा सा काम भी अगर नहीं कर सकते तो चिंता किस बात की कल अपनी चिंता खुद करेगा, आज के लिए आज की बात और दुःख ही काफी है. वर्तमान में जिये भविष्य के बारे में सोचने से हमारा आज भी ख़राब हो जाता है।
आत्मविश्वासी बने:
दूसरों पर भरोसा रखना अच्छी बात है, लेकिन आज की दुनिया हमें इस बात की इजाजत नहीं देती। सबसे पहले ईश्वर पर भरोसा रखें. याद रहें प्रभु हमारे लिए है, वह हमारे साथ है, उस पर विश्वास करने वालों को वह कभी हताश नहीं करता इसके बाद अपने आप पर विश्वास रखें। आत्मविश्वासी लोग ही दुनिया में आगे बढ़ते है, दूसरों पर निर्भर न रहें।
अपने दम पर काम करें और अपने सपनों को पूरा करें। डर और घबराहट पर जीत पायें। जीवन में थोडा बहुत डर होना ही चाहिये किंतु हर चीज़ की तरह डर की भी एक हद है। उससे आगे बढ़ जाए तो वह स्वाभाविक नहीं रह जाता बल्कि सेहत, सुरक्षा, सामाजिकता और ख़ुशी को नुक़सान पहुंचाने लगता है, और सामान्य जीवन में बाधा बन जाता है। समझदारी इसी में है कि जिस डर के चलते जीवन का सुख-चैन खोने लगे, उससे छुटकारा पा लिया जाए।
लक्ष्य निर्धारित करें :
जीवन प्रॉपर में लक्ष्य नहीं होने पर हम रास्ता भूल जाते है. गलत ख्याल, शैतानी बातें, डर दिमाग में घर करने लगते है. एक लक्ष्य होने पर हम उस लक्ष्य की ओर अधिक ध्यान देते है। कठिन रास्ते पर. लक्ष्य प्राप्ति के समय मिलने वाली छोटी छोटी जीत से आपको ख़ुशी मिलेगी, आत्मविश्वास बढ़ेगा, जिससे आपका डर लगना और घबराहट होना भी कम होगा।
संबंधित मार्गदर्शन:
अगर आपका डर और घबराहट असामान्य हद तक बढ़ गया है, तो आपको एक पेशे वर मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने वाले चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।https://d30f2n35o9gm6xaeokg3t85rfh.hop.clickbank.net
समापन:
डर लगना और घबराहट होना जैसी नेगेटिव भावनाओ से मुक्ति पाने के लिए, हमें सकारात्मक विचारों का पालन करना और स्वास्थ्य पूर्ण जीवनशैली अपनाना चाहिए। ज्ञान शिक्षा का शस्त्रीकरण करना बेहद जरूरी है ज्यादा जानकारी के लिए पढे, यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करेगा और हमें एक सकारात्मक दृष्टिकोण से जीवन को देखने में सहायक होगा।
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